मेरे फिल्मांकन लेखन मे फूहड़ता अश्लीलता नही-जीतेन्द्र सुमन
साक्षात्कार - फिल्मी हस्ती से
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=मधुलता वर्मा
भोजपुरी सिनेमा का जो हश्र इन दिनो देखने मे आ रहा है, वह मेरे फिल्मांकन, लेखन अथवा संवाद मे कदापि देखने को नही मिलता है। यह उपरोक्ति तकरीबन साठ भोजपुरी फिल्मो के साथ डेढ दर्जन सिरियल के लिए स्क्रिप्ट लेखन के साथ ही निर्देशन करने वाले मुम्बई के स्क्रिप्ट राइटर एसोसिएशन के रजिस्ट्रेशन औफीसर जीतेन्दर सुमन के है।
बिहार के भोजपुर जिला मुख्यालय आरा के निवासी जीतेन्दर सुमन जी का जुड़ाव पटना से रहा है, यहा उनका ससुराल कदमकुआ के जनक किशोर रोड मे है,जहां मुम्बई से गत दिनो पटना पहुंचे जीतेन्दर सुमन जी से साक्षात्कार का मौका मिला, तभी उन्होंने बताया कि 1995 से स्थाई तौर पर मुम्बई मे निवास कर रहे है, लेकिन पटना आना जाना तो लगा ही रहता है ?
मैने अपनी मातृभाषा के साथ ही हिन्दी और अन्य भाषाओ के साथ बराबर का लगाव रखा हुआ है और जिस भाषा मे काम करने का मौका मिलता है, कर लेता हू। अब तक कुल पचास साठ भोजपुरी फिल्मो के साथ ही डेढ दर्जन सिरियल के लिए स्क्रिप्ट लेखन निर्देशन कर चुका हू , और यह सब सम्भव हुआ, भोजपुरी फिल्म निर्माता लक्ष्मण शहावादी जी के साथ संसर्ग से,जिनके साथ रहकर राइटिंग डायरेक्टिग से जुड़ा और उनके सहायक बन भोजपुरी फिल्म "गंगा दुल्हा पार के" मे काम किया , और करता चला आ रहा हू, मेरे स्वतंत्र लेखन की शुरुआत
फिल्म "कब अइहे दूल्हा हमार"से हुई है ।
फिर भोजपुरी फिल्म लेखन का जो सिलसिला चला वह लगातार जारी है , इसमे "बिटिया सदा सुहागन रहे" और "पटना वाली दुल्हनिया" चर्चित है ।
हमने कई टीवी चैनलो के लिए सिरियल भी किये है , जिनमे धार्मिक सिरियल महा जगननी, दुर्गा, महाशक्ति बंधन शामिल है और र्सिंहासन बतीसी, परमावतार श्री कृष्ण एण्ड टी वी पर चल रही है । यह भी कि ईटवी के लिए लिखे "भाग न बाचे कोय" भी काफी चर्चा मे रही है ।
हमने हिन्दी के लिए भी कुछ काम किया है जिसमे-" ईनजिनियर नम्वर -1" , "अपना कौन " और "शंखनाद" प्रमुख होने के साथ ही कई टेली फिल्मे भी शामिल है ।
हम तो पटना मे थियेटर मे एक्टिंग करते थे, जिसका पहला 1978 मे भारतीय नृत्य कला मंदिर मे "घासीराम कोतवाल" का मंचन हुआ था ।
यह भी कि डायरेक्टरेट आॅफ फिल्म फेस्टिवल नई दिल्ली के वर्ष 2011 के ज्यूरी मेम्बर भी रह चुके है-जीतेन्दर सुमन जी ।
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=मधुलता वर्मा
भोजपुरी सिनेमा का जो हश्र इन दिनो देखने मे आ रहा है, वह मेरे फिल्मांकन, लेखन अथवा संवाद मे कदापि देखने को नही मिलता है। यह उपरोक्ति तकरीबन साठ भोजपुरी फिल्मो के साथ डेढ दर्जन सिरियल के लिए स्क्रिप्ट लेखन के साथ ही निर्देशन करने वाले मुम्बई के स्क्रिप्ट राइटर एसोसिएशन के रजिस्ट्रेशन औफीसर जीतेन्दर सुमन के है।
बिहार के भोजपुर जिला मुख्यालय आरा के निवासी जीतेन्दर सुमन जी का जुड़ाव पटना से रहा है, यहा उनका ससुराल कदमकुआ के जनक किशोर रोड मे है,जहां मुम्बई से गत दिनो पटना पहुंचे जीतेन्दर सुमन जी से साक्षात्कार का मौका मिला, तभी उन्होंने बताया कि 1995 से स्थाई तौर पर मुम्बई मे निवास कर रहे है, लेकिन पटना आना जाना तो लगा ही रहता है ?
मैने अपनी मातृभाषा के साथ ही हिन्दी और अन्य भाषाओ के साथ बराबर का लगाव रखा हुआ है और जिस भाषा मे काम करने का मौका मिलता है, कर लेता हू। अब तक कुल पचास साठ भोजपुरी फिल्मो के साथ ही डेढ दर्जन सिरियल के लिए स्क्रिप्ट लेखन निर्देशन कर चुका हू , और यह सब सम्भव हुआ, भोजपुरी फिल्म निर्माता लक्ष्मण शहावादी जी के साथ संसर्ग से,जिनके साथ रहकर राइटिंग डायरेक्टिग से जुड़ा और उनके सहायक बन भोजपुरी फिल्म "गंगा दुल्हा पार के" मे काम किया , और करता चला आ रहा हू, मेरे स्वतंत्र लेखन की शुरुआत
फिल्म "कब अइहे दूल्हा हमार"से हुई है ।
फिर भोजपुरी फिल्म लेखन का जो सिलसिला चला वह लगातार जारी है , इसमे "बिटिया सदा सुहागन रहे" और "पटना वाली दुल्हनिया" चर्चित है ।
हमने कई टीवी चैनलो के लिए सिरियल भी किये है , जिनमे धार्मिक सिरियल महा जगननी, दुर्गा, महाशक्ति बंधन शामिल है और र्सिंहासन बतीसी, परमावतार श्री कृष्ण एण्ड टी वी पर चल रही है । यह भी कि ईटवी के लिए लिखे "भाग न बाचे कोय" भी काफी चर्चा मे रही है ।
हमने हिन्दी के लिए भी कुछ काम किया है जिसमे-" ईनजिनियर नम्वर -1" , "अपना कौन " और "शंखनाद" प्रमुख होने के साथ ही कई टेली फिल्मे भी शामिल है ।
हम तो पटना मे थियेटर मे एक्टिंग करते थे, जिसका पहला 1978 मे भारतीय नृत्य कला मंदिर मे "घासीराम कोतवाल" का मंचन हुआ था ।
यह भी कि डायरेक्टरेट आॅफ फिल्म फेस्टिवल नई दिल्ली के वर्ष 2011 के ज्यूरी मेम्बर भी रह चुके है-जीतेन्दर सुमन जी ।
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